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धर्म संसद में उठी Sanatan Board बनाने की मांग, समान नागरिक संहिता को बताया ज़रूरी

Sanatan Board राजधानी दिल्ली में कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर द्वारा आयोजित भव्य धर्म संसद में सनातन धर्म के संरक्षण और हिंदू परंपराओं के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। इस धर्म संसद में सनातन बोर्ड बनाने की मांग उठाई गई, जिसे वक्फ बोर्ड की तर्ज पर कार्य करने के लिए प्रस्तावित किया गया। इसके अलावा लव जिहाद, गौहत्या, कृष्ण जन्मभूमि, और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे भी चर्चा का केंद्र रहे।

धर्म संसद में 13 अखाड़ों के संतों सहित कई प्रमुख धार्मिक नेताओं और समाजसेवियों ने भाग लिया। इसमें हरिद्वार, ऋषिकेश, मथुरा, वाराणसी और अन्य कई स्थानों से बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए एकजुट होने की अपील की और हिंदू समाज के अधिकारों की रक्षा करने का संकल्प लिया।

देवकीनंदन ठाकुर की मांग

धर्म संसद के मुख्य वक्ता देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए “सनातन बोर्ड” की स्थापना की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद में जानवर की चर्बी मिलाने की घटना बेहद गंभीर है और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत बोर्ड का गठन करना जरूरी है। देवकीनंदन ठाकुर ने यह भी कहा कि यह बोर्ड सनातन परंपरा, गौमाता की रक्षा, धर्मांतरण के मुद्दे और धार्मिक स्थानों से जुड़े विवादों को हल करने में मदद करेगा।

धर्म संसद में उठी Sanatan Board बनाने की मांग, समान नागरिक संहिता को बताया ज़रूरी

उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू लड़कियों की शादी हिंदू धर्म में ही होनी चाहिए और उन कंपनियों की निगरानी की जानी चाहिए जो हलाल सर्टिफिकेट लेकर सामान बेचती हैं। देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, “हमें बहुत सहा है, अब हम नहीं सहेंगे। हिंदू समाज अपने अधिकार लेंगे, यह नारा पाकिस्तान तक गूंजना चाहिए।”

जैन मुनि लोकेश मुनि का समर्थन

धर्म संसद में जैन मुनि लोकेश मुनि ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और सनातन धर्म के लिए किए जा रहे प्रयासों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना चाहिए। उनके अनुसार, यह कानून केवल हिंदुओं के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए लागू होना चाहिए ताकि देश में संतुलन बनाए रखा जा सके।

शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती का बयान

धर्म संसद में द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जैसा राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान हुआ था, वैसे ही हमें श्री कृष्ण जन्मभूमि और ज्ञानवापी मस्जिद के लिए भी आंदोलन शुरू करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या नियंत्रण केवल हिंदुओं की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के लिए आवश्यक है।

महंत राजू दास का बयान

अयोध्या के हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने इस धर्म संसद में कहा कि देशभर के संत अब जागरूक हो गए हैं और वे हर प्रकार की हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने “वोट जिहाद” के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई और कहा कि चुनाव जीतने के बाद कुछ लोग हिंदुओं को हिंसक और विभाजनकारी बताने लगते हैं। महंत राजू दास ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को हम देख रहे हैं और इस पर उठ खड़े होने की आवश्यकता है।

पंडित प्रदीप मिश्रा का आह्वान

कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अब हमें दूसरों को जागरूक करने की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें खुद जागने की जरूरत है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या हम सनातनी अपने घरों में अपनी रक्षा के लिए तैयारी कर रहे हैं? पंडित मिश्रा ने मौलाना तौकीर राजा पर हमला करते हुए कहा कि हम अपने युवाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं और हम कभी भी किसी भी संकट से निपटने के लिए तैयार हैं।

डॉ. राम विलास वेदांती का बयान

धर्म संसद में विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल के विचारों का उल्लेख करते हुए डॉ. राम विलास वेदांती ने कहा कि जैसे राम मंदिर आंदोलन को शुरू करने का श्रेय अशोक सिंघल को जाता है, वैसे ही अब देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन बोर्ड की स्थापना के लिए यह दिव्य कार्यक्रम शुरू किया है। वेदांती ने कहा कि भारत में वक्फ बोर्ड का अस्तित्व किसी अन्य देश में नहीं है और इसे समाप्त करके सनातन बोर्ड का गठन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत में समान नागरिक संहिता की जरूरत है ताकि सभी धर्मों के लोगों के लिए समान नियम हों और किसी एक समुदाय के लिए विशेष नियम लागू न हों।

धर्म संसद में संतों और धार्मिक नेताओं ने एकजुट होकर सनातन धर्म और हिंदू परंपराओं के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने समान नागरिक संहिता लागू करने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग की। सभी ने हिंदू समाज को संगठित होने और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का संदेश दिया। इस कार्यक्रम ने हिंदू समुदाय में जागरूकता और एकजुटता का एक नया आंदोलन उत्पन्न किया है।

इस धर्म संसद का आयोजन इस बात का प्रतीक है कि सनातन धर्म को बनाए रखने के लिए धार्मिक नेता और संत अब एकजुट होकर काम कर रहे हैं और अपने समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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